tag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post4717531505694203894..comments2023-09-28T19:03:48.348+05:30Comments on हिंदी का शृंगार: उज्जवल भविष्य की कामना (समाधान)रावेंद्रकुमार रविhttp://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-71869272708658441572010-09-27T16:51:28.737+05:302010-09-27T16:51:28.737+05:30खुशी मिलती है जब कभी इस तरह से समाधान करने की शपथ ...खुशी मिलती है जब कभी इस तरह से समाधान करने की शपथ ली जाँए<br /> मुझे एक समय की बात स्मरण हो रही है मै डाँ0 हरिसिह गौर विश्वविधालय सागर मे स्नातकोत्तर अतिम बर्ष मे 1992 मे था, हमारे सहपाठी के पिताजी का निधन हो गया हम लोग उनके निवास पर सात्वना देने पहुँचे सभी औपचारिकताओ के बाद किसी की नजर उनके भवन पर पडी तो वहाँ पर अकित था (आर्शिवाद) तो पूछ लिया यह सही है या फिर (आशीर्वाद) तव कई लोगो को पता चला सही क्या है।प्रेम नारायण अहिरवालhttps://www.blogger.com/profile/08283876721046772135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-60223012567039051952010-09-10T11:41:38.997+05:302010-09-10T11:41:38.997+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। धन्यवाद।बहुत अच्छी प्रस्तुति। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com