tag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post8771439958389756078..comments2023-09-28T19:03:48.348+05:30Comments on हिंदी का शृंगार: नवसुर में कोयल गाता हैरावेंद्रकुमार रविhttp://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-30732614987762490072016-03-05T16:07:04.123+05:302016-03-05T16:07:04.123+05:30काली-काली कू-कू करती,
जो है डाली-डाली फिरती!
...काली-काली कू-कू करती,<br />जो है डाली-डाली फिरती!<br /> कुछ अपनी हीं धुन में ऐंठी <br /> छिपी हरे पत्तों में बैठी<br />जो पंचम सुर में गाती है<br />वह हीं कोयल कहलाती है.<br /> जब जाड़ा कम हो जाता है <br /> सूरज थोड़ा गरमाता है <br />तब होता है समा निराला <br />जी को बहुत लुभाने वाला<br /> हरे पेड़ सब हो जाते हैं <br /> नये नये पत्ते पाते हैं<br />कितने हीं फल औ फलियों से<br />नई नई कोपल कलियों से<br /> भली भांति वे लद जाते हैं<br /> बड़े मनोहर दिखलाते हैं<br />रंग रंग के प्यारे प्यारे <br />फूल फूल जाते हैं सारे<br /> बसी हवा बहने लगती है <br /> दिशा सब महकने लगती है<br />तब यह मतवाली होकर <br />कूक कूक डाली डाली पर<br /> अजब समा दिखला देती है<br /> सबका मन अपना लेती है<br />लडके जब अपना मुँह खोलो<br />तुम भी मीठी बोली बोलो<br /> इससे कितने सुख पाओगे<br /> सबके प्यारे बन जाओगे.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07785720321573589868noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-52872698089333776412016-03-05T16:06:38.597+05:302016-03-05T16:06:38.597+05:30काली-काली कू-कू करती,
जो है डाली-डाली फिरती!
...काली-काली कू-कू करती,<br />जो है डाली-डाली फिरती!<br /> कुछ अपनी हीं धुन में ऐंठी <br /> छिपी हरे पत्तों में बैठी<br />जो पंचम सुर में गाती है<br />वह हीं कोयल कहलाती है.<br /> जब जाड़ा कम हो जाता है <br /> सूरज थोड़ा गरमाता है <br />तब होता है समा निराला <br />जी को बहुत लुभाने वाला<br /> हरे पेड़ सब हो जाते हैं <br /> नये नये पत्ते पाते हैं<br />कितने हीं फल औ फलियों से<br />नई नई कोपल कलियों से<br /> भली भांति वे लद जाते हैं<br /> बड़े मनोहर दिखलाते हैं<br />रंग रंग के प्यारे प्यारे <br />फूल फूल जाते हैं सारे<br /> बसी हवा बहने लगती है <br /> दिशा सब महकने लगती है<br />तब यह मतवाली होकर <br />कूक कूक डाली डाली पर<br /> अजब समा दिखला देती है<br /> सबका मन अपना लेती है<br />लडके जब अपना मुँह खोलो<br />तुम भी मीठी बोली बोलो<br /> इससे कितने सुख पाओगे<br /> सबके प्यारे बन जाओगे.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07785720321573589868noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-30024947083202503852010-07-01T07:43:59.762+05:302010-07-01T07:43:59.762+05:30नर कोयल और मादा दोनों ही गाती हैं ... कई जानवरों औ...नर कोयल और मादा दोनों ही गाती हैं ... कई जानवरों और पक्षियों के नामों से नर या मादा का बोध नही होता जैसे हाथी, कौवा, इत्यादि इस लिए दोनों ही रूपों मे प्रयोग किया जा सकता है ,... चूँकि गाना स्त्रियोचित गुण माना जाता है इस लिए कोयल के साथ गाती शब्द का प्रयोग अधिक किया जाता है.Padm Singhhttps://www.blogger.com/profile/17831931258091822423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-69553951000779271162010-03-11T14:15:54.493+05:302010-03-11T14:15:54.493+05:30नई कोंपल में से कोकिल, कभी किलकारेगा सानंद,
एक क्...<b>नई कोंपल में से कोकिल, कभी किलकारेगा सानंद, <br />एक क्षण बैठ हमारे पास, पिला दोगे मदिरा मकरंद!</b> <br />-- <br /><b>जयशंकर प्रसाद</b> <br />बसंत की प्रतीक्षा (झरना) सेरावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-64478919675171991182010-02-02T07:02:38.523+05:302010-02-02T07:02:38.523+05:30नर कोयल को गाने का अधिकार है तो वह तो गायेगा ही भल...नर कोयल को गाने का अधिकार है तो वह तो गायेगा ही भले वह बे सुरा हो .. कू-कू न गाए कुहुक-कुहुक ही गाए!!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-43245143877530050702010-02-01T09:54:41.962+05:302010-02-01T09:54:41.962+05:30पंक्तियाँ तो दोनों भली लगी.
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कोयल कू - कू गाती ...पंक्तियाँ तो दोनों भली लगी.<br />---<br />कोयल कू - कू गाती है.<br />कभी<br />कोयलिया कू - कू गाती है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-40601625520726871682010-01-31T11:50:49.255+05:302010-01-31T11:50:49.255+05:30समस्या है ......... वैसे साहित्य में तो कोयल गाती ...समस्या है ......... वैसे साहित्य में तो कोयल गाती ही ........ असल में शायद दोनो ही गाते हों .......दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5289405022581538665.post-14660276108469763382010-01-30T23:12:03.839+05:302010-01-30T23:12:03.839+05:30बसंत का मौसम होता ही है मनमोहक ।बसंत का मौसम होता ही है मनमोहक ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.com