Blogger द्वारा संचालित.

फ़ॉलोअर

मेरी ब्लॉग सूची

18 जुलाई 2010 से प्रत्येक पोस्ट में उठाई गई समस्या के समाधान से संबंधित पोस्ट भी प्रकाशित की जाएगी! पहले पूर्व प्रकाशित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया जाएगा! फिर एक सप्ताह के भीतर ही समस्या और उसके समाधान संबंधी पोस्ट प्रकाशित करने की योजना है! अपरिहार्य कारणवश ऐसा नहीं हो पा रहा है!

नमस्ते करें या नमस्कार




क्या निम्नांकित शब्दों के अर्थ अलग-अलग होते हैं? 

१. नमस्ते                २. नमस्कार


रचना दीक्षित  – (20 फ़रवरी 2011 को 11:14 am बजे)  

जब शब्द अलग अलग हैं तो अर्थ तो भिन्न होगा ही. पर क्या? वो पता नहीं.

ranumanu  – (20 फ़रवरी 2011 को 11:33 am बजे)  

नमस्ते व्यक्ति के लिये है और नमस्कार देवताओ के लिये मेरे विचार से

पूर्णिमा वर्मन  – (20 फ़रवरी 2011 को 1:11 pm बजे)  

नमस्ते और नमस्कार में अर्थ का दृष्टि से भले ही अधिक अंतर नहीं पर प्रयोग में कुछ अंतर अवश्य है। दोनो में नमन का भाव है। लेकिन ते और कार में थोड़ा अंतर है।

ते का अर्थ है आप ते जिस आपके अर्थ में प्रयुक्त हुआ है वह माता पिता गुरू या उसके समकक्ष कोई व्यक्ति हो सकता है। वह ईश्वर भी हो सकता है। माता पिता से हम नमस्ते कहते हैं। गुरु या आदरणीय व्यक्ति को नमस्ते कहना चाहिये। अनेक श्लोकों में इसीलिये नमस्ते शब्द का प्रयोग होता है न कि नमस्कार का। होटलों आदि के द्वार पर खड़े दरबान या स्वागतकर्मी नमस्ते शब्द का प्रयोग करते हैं।

कार का अर्थ है किसी भाव का होना जैसे स्वीकार का अर्थ है स्व भाव का होना। नमस्कार का प्रयोग अपेक्षाकृत बराबर वाले लोगों के लिये होता है। मित्र, सहयोगी, साथ काम करने वाले और सभा को संबोधित करते समय नमस्कार कहना चाहिये। बहुत से लोगों को एक साथ नमन करना हो (जैसे सभा में या माइक पर) तो नमस्ते के स्थान पर नमस्कार कहना चाहिये।

राज भाटिय़ा  – (20 फ़रवरी 2011 को 11:08 pm बजे)  

मुझे लगता हे कि नमस्ते स्वागत के रुप मे कहते हे, ओर नमस्कार विदा होते समय या बडो को आदर देते समय कहते हे,या फ़िर पुजा मे भी नमस्कार शव्द चलता हे.

Shikha Kaushik  – (24 फ़रवरी 2011 को 9:15 pm बजे)  

purnima ji nebahut achchhe se samjha diya hai .upyogi prashan uthhane ke liye dhanywad .

Shikha Kaushik  – (24 फ़रवरी 2011 को 9:16 pm बजे)  

vaivahik varshgathh par hamari taraf se shubhkamnaye swikar karen .

कविता रावत  – (11 अक्तूबर 2011 को 8:23 am बजे)  

मेरे हिसाब से दोनों की मूल प्रकृति एक ही है दोनों ही आदरसूचक शब्द हैं..

Manoj Jangid  – (9 सितंबर 2012 को 4:19 pm बजे)  

नमस्कार का प्रयोग अपेक्षाकृत बराबर वाले लोगों के लिये होता है। मित्र, सहयोगी, साथ काम करने वाले और सभा को संबोधित करते समय नमस्कार कहना चाहिये। बहुत से लोगों को एक साथ नमन करना हो (जैसे सभा में या माइक पर) तो नमस्ते के स्थान पर नमस्कार कहना चाहिये।ते का अर्थ है आप ते जिस आपके अर्थ में प्रयुक्त हुआ है वह माता पिता गुरू या उसके समकक्ष कोई व्यक्ति हो सकता है। वह ईश्वर भी हो सकता है। माता पिता से हम नमस्ते कहते हैं। गुरु या आदरणीय व्यक्ति को नमस्ते कहना चाहिये। अनेक श्लोकों में इसीलिये नमस्ते शब्द का प्रयोग होता है न कि नमस्कार का। होटलों आदि के द्वार पर खड़े दरबान या स्वागतकर्मी नमस्ते शब्द का प्रयोग करते हैं।

BLOGPRAHARI  – (28 अगस्त 2014 को 3:58 pm बजे)  

आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक
सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
अपने ब्लॉग को ब्लॉगप्रहरी से जोड़ने के लिए, यहाँ क्लिक करें http://www.blogprahari.com/add-your-blog अथवा पंजीयन करें http://www.blogprahari.com/signup .
अतार्जाल पर हिंदी को समृद्ध और सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता आपके सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती.
मोडरेटर
ब्लॉगप्रहरी नेटवर्क

Unknown  – (21 जुलाई 2017 को 6:50 am बजे)  

बिल्कुल ठीक कहा आपने।

Unknown  – (21 जुलाई 2017 को 6:51 am बजे)  

बिल्कुल ठीक कहा आपने।

Unknown  – (31 दिसंबर 2017 को 11:51 am बजे)  

पूर्णता सहमत हूँ । धन्यवाद।

राजवीर शेखावत  – (12 जुलाई 2020 को 9:36 pm बजे)  

नमस्ते छोटों को और नमस्कार बड़ों को

एक टिप्पणी भेजें

सभी साथियों से अनुरोध है कि यदि आपकी मातृभाषा हिंदी है,
तो यहाँ अपनी टिप्पणी भी हिंदी (देवनागरी लिपि)
में ही प्रकाशित करने की कृपा कीजिए!
टिप्पणी पोस्ट करने से पहले
ई-मेल के द्वारा सदस्यता ले लिया कीजिए,
ताकि आपकी टिप्पणी प्रकाशित होने के बाद में
यहाँ होनेवाली चर्चा का पता भी आपको चलता रहे
और आप बराबर चर्चा में शामिल रह सकें!

Related Posts with Thumbnails

"हिंदी का शृंगार" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नवगीत की पाठशाला पर पढ़िए मेरे ताज़ा नवगीत : बौराए हैं बाज फिरंगी और कर पाएँगे नहीं नाज़

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

सप्तरंगी प्रेम पर पढ़िए मेरे ताज़ा नवगीत : मेरा हृदय अलंकृत और ओ, मेरे मनमीत!

मेरी रचनाओं का शृंगार : रावेंद्रकुमार रवि

सृजनगाथा में प्रकाशित रावेंद्रकुमार रवि की लघुकथाएँ

१. भविष्य दर्शन

२. शेर और सियार

३. तोते ४. लेकिन इस बार

५. आदर्श

  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP