खूब लड़ी मर्दानी ... ... .
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नवगीत की पाठशाला पर पढ़िए मेरे ताज़ा नवगीत : बौराए हैं बाज फिरंगी और कर पाएँगे नहीं नाज़
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सप्तरंगी प्रेम पर पढ़िए मेरे ताज़ा नवगीत : मेरा हृदय अलंकृत और ओ, मेरे मनमीत!"नवगीत की पाठशाला" में पढ़िए मेरे नवगीत –
“सृजनगाथा में प्रकाशित रावेंद्रकुमार रवि की लघुकथाएँ –
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कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की रचना पढ़कर बचपना याद आ गया .इसीलिए त्रुटी की बात नहीं करूँगा. आभार
खूब लडी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी { यहाँ वह नहीं वो शब्द आना चाहिये था
इतनी लाजवाब रचना में गलतियाँ कोन देखे, बेहद उम्दा रचना है।
मुझे लगता है यहाँ मर्दानी शब्द में कुछ त्रुटि है ।
अगर गलती हुयी भी तोभी कोई बात नही, खूब लडी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.... यह कविता हमारे दिमाग मै नही बल्कि हमारे दिलो पर लिखी है, मान सम्मान से.
धन्यवाद
इन अजर अमर ओजस्वी पंक्तियों में गलती ढ़ूंढना कृतघनता होगी और मैं क्रुत्घन नहीं हूं