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>> रविवार, 20 फ़रवरी 2011 –
शब्द-ज्ञान
क्या निम्नांकित शब्दों के अर्थ अलग-अलग होते हैं?
१. नमस्ते २. नमस्कार
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जब शब्द अलग अलग हैं तो अर्थ तो भिन्न होगा ही. पर क्या? वो पता नहीं.
नमस्ते व्यक्ति के लिये है और नमस्कार देवताओ के लिये मेरे विचार से
नमस्ते और नमस्कार में अर्थ का दृष्टि से भले ही अधिक अंतर नहीं पर प्रयोग में कुछ अंतर अवश्य है। दोनो में नमन का भाव है। लेकिन ते और कार में थोड़ा अंतर है।
ते का अर्थ है आप ते जिस आपके अर्थ में प्रयुक्त हुआ है वह माता पिता गुरू या उसके समकक्ष कोई व्यक्ति हो सकता है। वह ईश्वर भी हो सकता है। माता पिता से हम नमस्ते कहते हैं। गुरु या आदरणीय व्यक्ति को नमस्ते कहना चाहिये। अनेक श्लोकों में इसीलिये नमस्ते शब्द का प्रयोग होता है न कि नमस्कार का। होटलों आदि के द्वार पर खड़े दरबान या स्वागतकर्मी नमस्ते शब्द का प्रयोग करते हैं।
कार का अर्थ है किसी भाव का होना जैसे स्वीकार का अर्थ है स्व भाव का होना। नमस्कार का प्रयोग अपेक्षाकृत बराबर वाले लोगों के लिये होता है। मित्र, सहयोगी, साथ काम करने वाले और सभा को संबोधित करते समय नमस्कार कहना चाहिये। बहुत से लोगों को एक साथ नमन करना हो (जैसे सभा में या माइक पर) तो नमस्ते के स्थान पर नमस्कार कहना चाहिये।
मुझे लगता हे कि नमस्ते स्वागत के रुप मे कहते हे, ओर नमस्कार विदा होते समय या बडो को आदर देते समय कहते हे,या फ़िर पुजा मे भी नमस्कार शव्द चलता हे.
purnima ji nebahut achchhe se samjha diya hai .upyogi prashan uthhane ke liye dhanywad .
vaivahik varshgathh par hamari taraf se shubhkamnaye swikar karen .
बात एक ही है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
मेरे हिसाब से दोनों की मूल प्रकृति एक ही है दोनों ही आदरसूचक शब्द हैं..
नमस्कार का प्रयोग अपेक्षाकृत बराबर वाले लोगों के लिये होता है। मित्र, सहयोगी, साथ काम करने वाले और सभा को संबोधित करते समय नमस्कार कहना चाहिये। बहुत से लोगों को एक साथ नमन करना हो (जैसे सभा में या माइक पर) तो नमस्ते के स्थान पर नमस्कार कहना चाहिये।ते का अर्थ है आप ते जिस आपके अर्थ में प्रयुक्त हुआ है वह माता पिता गुरू या उसके समकक्ष कोई व्यक्ति हो सकता है। वह ईश्वर भी हो सकता है। माता पिता से हम नमस्ते कहते हैं। गुरु या आदरणीय व्यक्ति को नमस्ते कहना चाहिये। अनेक श्लोकों में इसीलिये नमस्ते शब्द का प्रयोग होता है न कि नमस्कार का। होटलों आदि के द्वार पर खड़े दरबान या स्वागतकर्मी नमस्ते शब्द का प्रयोग करते हैं।
आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक
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बिल्कुल ठीक कहा आपने।
बिल्कुल ठीक कहा आपने।
पूर्णता सहमत हूँ । धन्यवाद।
https://youtu.be/PO7XWRyyKFY
अच्छा
बिल्कुल विपरीत कहा है
नमस्ते छोटों को और नमस्कार बड़ों को
बिल्कुल विपरीत कहा है
Good..