Blogger द्वारा संचालित.

फ़ॉलोअर

मेरी ब्लॉग सूची

18 जुलाई 2010 से प्रत्येक पोस्ट में उठाई गई समस्या के समाधान से संबंधित पोस्ट भी प्रकाशित की जाएगी! पहले पूर्व प्रकाशित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया जाएगा! फिर एक सप्ताह के भीतर ही समस्या और उसके समाधान संबंधी पोस्ट प्रकाशित करने की योजना है! अपरिहार्य कारणवश ऐसा नहीं हो पा रहा है!

मधु वधू या मधू वधु

आज बस इतना ही करना है -
नीचे लिखे दो शब्दों में से एक सही शब्द चुनकर
उसके बारे में कुछ बताना है -
पहला शब्द : मधू
दूसरा शब्द : वधु

राज भाटिय़ा  – (8 मार्च 2010 को 8:05 pm बजे)  

पता नही जी कोन सा शव्द सही है , लेकिन हमारे पास मधू बधू दोनो ही है

रावेंद्रकुमार रवि  – (8 मार्च 2010 को 11:01 pm बजे)  

भाटिया जी,
कुछ तो बताइए,
अपनी मधू और बधू के बारे में!
यो दोनों कौन हैं?

राज भाटिय़ा  – (9 मार्च 2010 को 1:06 am बजे)  

रावेंद्रकुमार रवि जी गलत ना समझे मधू यानि शहद मिट्ठास, ओर बधू यानि बीबी, यानि हमे एक पत्नी मै ही दोनो गुण मिल गये :)

ज्योति सिंह  – (12 मार्च 2010 को 10:57 pm बजे)  

मुझे तो मधु सही लग रहा शायद मीठा होता है ,वैसे मैं दुविधा में पड़ गयी लगता है इस कक्षा में रोज शामिल होना पढ़ेगा

बेनामी –   – (23 मार्च 2010 को 10:35 am बजे)  

मुझे भी "मधु वधू" सही लग रहा है

Padm Singh  – (6 जुलाई 2010 को 9:32 pm बजे)  

मधु ठीक शब्द है शहद के लिए
वधू ठीक शब्द है बहू के लिए

एक टिप्पणी भेजें

सभी साथियों से अनुरोध है कि यदि आपकी मातृभाषा हिंदी है,
तो यहाँ अपनी टिप्पणी भी हिंदी (देवनागरी लिपि)
में ही प्रकाशित करने की कृपा कीजिए!
टिप्पणी पोस्ट करने से पहले
ई-मेल के द्वारा सदस्यता ले लिया कीजिए,
ताकि आपकी टिप्पणी प्रकाशित होने के बाद में
यहाँ होनेवाली चर्चा का पता भी आपको चलता रहे
और आप बराबर चर्चा में शामिल रह सकें!

Related Posts with Thumbnails

"हिंदी का शृंगार" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नवगीत की पाठशाला पर पढ़िए मेरे ताज़ा नवगीत : बौराए हैं बाज फिरंगी और कर पाएँगे नहीं नाज़

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

सप्तरंगी प्रेम पर पढ़िए मेरे ताज़ा नवगीत : मेरा हृदय अलंकृत और ओ, मेरे मनमीत!

मेरी रचनाओं का शृंगार : रावेंद्रकुमार रवि

सृजनगाथा में प्रकाशित रावेंद्रकुमार रवि की लघुकथाएँ

१. भविष्य दर्शन

२. शेर और सियार

३. तोते ४. लेकिन इस बार

५. आदर्श

  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP