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18 जुलाई 2010 से प्रत्येक पोस्ट में उठाई गई समस्या के समाधान से संबंधित पोस्ट भी प्रकाशित की जाएगी! पहले पूर्व प्रकाशित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया जाएगा! फिर एक सप्ताह के भीतर ही समस्या और उसके समाधान संबंधी पोस्ट प्रकाशित करने की योजना है! अपरिहार्य कारणवश ऐसा नहीं हो पा रहा है!

रंग से रँग दिया तन, रँगो मन प्रणय से

रंग से रँग दिया तन, रँगो मन प्रणय से!
उक्त पंक्ति किसी नवगीत का अंश हो सकती है!
आज हम इसके बहाने निम्नांकित शब्दों पर सही ढंग से
अनुस्वार बिंदु (ं) या अर्धचंद्र बिंदु (ँ) लगाने का प्रयास करेंगे
और इस प्रकार बननेवाले शब्दों के अर्थ भी बताएँगे -
रग, सग, भग, हस, वश, आजनेय, प्राजल, अचल, आचल,
माग, कप, काप, भाप, दत, दात, सबध, राध, रध्र, गाठ, डठल इत्यादि!

राज भाटिय़ा  – (3 नवंबर 2010 को 5:23 pm बजे)  

दीपावली की शुभकामनाएं

रचना दीक्षित  – (12 नवंबर 2010 को 5:21 pm बजे)  

रवी जी मैं क्या जवाब दूँ मैं तो खुद जवाब कि प्रतीक्षा कर रही हूँ. लिखने को तो मैं जवाब लिख दूँ गलत सही पर एक बार सीख लूँ फिर परीक्षा ले कर देखें.

रचना दीक्षित  – (12 नवंबर 2010 को 5:24 pm बजे)  

रवी जी ऐसा तो नहीं है कि जिसमें बड़े आ का डंडा लगता हो उसमें चन्द्र बिंदु लगता हो. केवल अंदाजा लगाया है जैसे कि "माँ"

रावेंद्रकुमार रवि  – (16 नवंबर 2010 को 8:36 pm बजे)  

रचना जी,
इस चिट्ठे पर जो भी पोस्ट प्रकाशित की जाती है,
वह सीखने-सिखाने के लिए होती है,
किसी की परीक्षा के लिए नहीं!

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