रंग से रँग दिया तन, रँगो मन प्रणय से (समाधान)
- बुधवार, ३ नवम्बर २०१० को "हिंदी का शृंगार" पर यह पोस्ट लगाई गई थी -
रंग से रँग दिया तन, रँगो मन प्रणय से
रंग से रँग दिया तन, रँगो मन प्रणय से!
उक्त पंक्ति किसी नवगीत का अंश हो सकती है!
आज हम इसके बहाने निम्नांकित शब्दों पर सही ढंग से
अनुस्वार बिंदु (ं) या अर्धचंद्र बिंदु (ँ) लगाने का प्रयास करेंगे
और इस प्रकार बननेवाले शब्दों के अर्थ भी बताएँगे -
रग, सग, भग, हस, वश, आजनेय, प्राजल, अचल, आचल,
माग, कप, काप, भाप, दत, दात, सबध, राध, रध्र, गाठ, डठल इत्यादि!
(: समाधान :)
बोलने पर जब केवल नाक से आवाज़ निकलती है,
तो अनुस्वार बिंदु (ं) लगाया जाता है
और जब नाक और मुँह दोनों से आवाज़ निकलती है,
तो अर्धचंद्र बिंदु (ँ) लगाया जाता है!
अब स्वयं बोलकर देखिए!
रंग, संग, भंग, हंस, वंश, आंजनेय, प्रांजल, अंचल,
आँचल, माँग, कंप, काँप, भाँप, दंत,
दाँत, संबंध, राँध, रंध्र, गाँठ, डंठल इत्यादि!
अर्थ बताना तो अभी भी आपके लिए ही छोड़ा जा रहा है!
अब तक प्रकाशित हुई पोस्टों की समाधान की प्रक्रिया
नियमित कीजिए!
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हिन्दी के प्रचार-प्रसार में हिन्दी का शृंगार
मील का पत्थर बनें यही कामना है!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
kabhi samay mile to yahan //shiva12877.blogspot.com per bhe aayen.