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18 जुलाई 2010 से प्रत्येक पोस्ट में उठाई गई समस्या के समाधान से संबंधित पोस्ट भी प्रकाशित की जाएगी! पहले पूर्व प्रकाशित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया जाएगा! फिर एक सप्ताह के भीतर ही समस्या और उसके समाधान संबंधी पोस्ट प्रकाशित करने की योजना है! अपरिहार्य कारणवश ऐसा नहीं हो पा रहा है!

दूध वाला आने ही वाला था!

आइए, आज इन दो वाक्यों का अध्ययन करते हैं -

--

दूध वाला आने ही वाला था!

रामू की घरवाली दूधवाला बर्तन लेकर दरवाज़े की तरफ दौड़ी!

--

पहले वाक्य में दूध वाला और दूसरे वाक्य में दूधवाला लिखा है!

आने ही वाला और घरवाली पर भी ध्यान देना है!

--

अब दूर करने के लिए समस्या यह है -

यह वाला और वाली का क्या चक्कर है?

रचना दीक्षित  – (27 जून 2010 को 9:41 pm बजे)  

हिंदी मेरा विषय नहीं है सो व्याकरण नहीं आती है फिर भी कोशिश करती हूँ

१ पहले वाक्य में "दूधवाला" दूसरे वाक्य में " दूध वाला"
2 सही तो लगता है "आने ही वाला"पर शायद "घर वाली" अलग अलग लिखा जायेगा

उन्मुक्त  – (27 जून 2010 को 10:04 pm बजे)  

दूधवाला आने ही वाला था।
रामू की घरवाली दूध वाला बर्तन लेकर दरवाज़े की तरफ दौड़ी।

बेनामी –   – (30 जून 2010 को 1:04 pm बजे)  

sringaar kee speling to sheershak mein hi galat likhi hai aapne huzoor

बेनामी –   – (30 जून 2010 को 1:07 pm बजे)  

aur hindi kee speling bhi हिन्दी hoti hai हिंदी nahin

रावेंद्रकुमार रवि  – (30 जून 2010 को 5:59 pm बजे)  

मनुज बेटा,
अभी तो आप मात्र इक्कीस साल के हैं!
--
आपसे कुछ और कहना नहीं चाहता!
--
हाँ,
इतना अवश्य कहूँगा -
पहले देवनागरी लिपि में टंकण करना सीख लीजिए!
उसके बाद अपना सहीवाला sringaar लिखकर दिखाना!

रावेंद्रकुमार रवि  – (30 जून 2010 को 6:19 pm बजे)  

बज़ (Buzz) से इंदु पुरी गोस्वामी जी --

indu puri goswami – रावेंद्र ! आपका ब्लोग इतना अच्छा है हिंदी भाषा की गहन जानकारी चाहने वालों के लिए.मैं टीचर हूँ,हिंदी इंग्लिश में एम.ए. हूँ.
पर...तुम्हारे प्रश्न मुझे निरुत्तर कर देते हैं.
किन्तु मुझे सीखना है इस भाषा को गहराई से.
ये सब मेरे स्टाफ,स्टुडेंट्स और परिवार के लोगो के लिए भी बहुत उपयोगी जानकारियां है.मैंने बुक मार्क कर लिया है और फेवरिट्स में भी एड कर लिया है.
जो लिखा है वो बोलचाल की भाषा में लिखा है मैंने.
अन्यथा ........अच्छी हिंदी जानती हूँ .ओके ? 28 Jun 2010

बेनामी –   – (30 जून 2010 को 6:26 pm बजे)  

क्या कहना चाहते हैं हुज़ूर?
मेरी उम्र का इस से क्या सम्बन्ध है ? स्पष्ट करियेगा अगर आप पर समय हो तो.

और रही बात हिन्दी में टाइप करने की तो "shringaar" की सही वर्तनी "श्रृंगार" है "शृंगार" नहीं .

रावेंद्रकुमार रवि  – (30 जून 2010 को 6:37 pm बजे)  

मनुज जी!
आपने देवनागरी में टंकण करके दिखा दिया!
समझो "हिंदी का शृंगार" कर दिया! बधाई!
--
आपकी तरह
और भी बहुत से विद्वान
"श्रृंगार" को ही सही वर्तनी बता चुके हैं,
पर यह सही नहीं है!
--
मैं तो समझ रहा था
कि आप कोई चमत्कार करनेवाले हैं,
पर आप भी कुछ विशेष नहीं कर पाए!
--
चलिए कोई बात नहीं!
अब धैर्यपूर्वक इसे पढ़ डालिए -
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ"?

बेनामी –   – (30 जून 2010 को 6:50 pm बजे)  

चलिए ये तो मानियेगा न कि "हिंदी" और "हिन्दी" में "हिन्दी" सही वर्तनी है !!

रावेंद्रकुमार रवि  – (30 जून 2010 को 7:01 pm बजे)  

मनुज!
ये दोनों वर्तनियाँ सही हैं!
--
अब तुम्हारे अन्य किसी
अनावश्यक प्रश्न का उत्तर नहीं दिया जाएगा!

बेनामी –   – (30 जून 2010 को 7:37 pm बजे)  

आप दोनों को सही बता रहे हैं, परन्तु वास्तव में उच्चारण करके देखें तो आपको फर्क मालूम पड़ जायेगा.
उदाहरण के लिए अंग्रेजी भाषा के शब्द doubt के लिए हिन्दी में शब्द है "शंका"; और अगर आप ही के तर्क को आगे बढ़ाएं (interpolate) करें तो "शन्का" भी "शंका" के स्थान पर प्रयोग कर सकते हैं !!! हैं ना ?

आप ने कहा कि,
हिन्दी = हिंदी

अतः ,
शंका = शन्का

लेकिन प्रभो, (!!!!)
दोनों के उच्चारण में काफी फर्क है.
बाकी आप जानो कि मेरे इस अनावश्यक प्रश्न का आपको जवाब देना है या नहीं. जो मुझे सही लगता है मैं आपको बता रहा हूँ, अगर मैं गलत हूँ और मुझे सही करना चाहते हैं हो जवाब दीजियेगा. otherwise गुड बाय.

Padm Singh  – (1 जुलाई 2010 को 12:38 am बजे)  

अच्छा लगा इस ब्लॉग पर आ कर ...
१- आपकी शृंगार वाली बात उचित लगती है क्योकि श्र=श्+र अतः इसमें र पहले से ही लगा है अतः ऋ की मात्रा पुनः लगाना उचित नहीं है...
२- हिंदी और हिन्दी मे हिन्दी शब्द उचित है
चाण्डाल, भण्ड,काण्ड मे ड तवर्ग का व्यंजन है और टवर्ग से पहले प्रायः अनुस्वार के रूप मे "ण" आता है
इसी तरह चवर्ग से पहले अनुस्वार "ञ" का प्रयोग उचित है जैसे चञ्चल, अञ्चल,खञ्जन..किन्तु व्यवहार मे "ं" का भी प्रयोग किया जाता है जैसे व्यंजन,
इसी तरह तवर्ग से पहले अनुस्वार को न के रूप मे(पन्थ,सन्त,अन्त,सन्दीप) आदि आना उचित है
इसी तरह हिन्दी उचित है
कवर्ग के पहले प्रायः अनुस्वार के रूप मे "ङ"(टंकण,कंकण,गंगा)
चवर्ग से पहले प्रायःअनुस्वार के रूप मे "ञ"(चञ्चल,मञ्च,मञ्जूषा)
तवर्ग से पहले प्रायःअनुस्वार के रूप मे न"(पन्त,पन्थ,हिन्दी,बन्धन)
टवर्ग से पहले अनुस्वार के रूप मे "ण"(काण्ड,गाण्डीव) यद्यपि "ट" से पहले अनुस्वार बिंदु लगते देखा गया है जैसे कंटक, )
पवर्ग से पहले "म" का प्रयोग जैसे चम्पा,अनुकम्पा,खम्बा,लम्बा,अम्मा और आरम्भ
अन्य व्यंजनों के साथ अनुस्वार बिंदु या न् लगते देखा जाता है
जैसे यंत्र,संलिप्त,अंश,हंस,विध्वंस,कान्हा,कन्या,आकांक्षा आदि...
अनुस्वार के बारे मे ये विचार मेरी सहज बुद्धि की उपज हो सकते हैं, कहीं पढ़ा नहीं है... लेकिन इस पर विचार किया जा सकता है ... शेष तो विद्वज्जन ही बताएं ... क्योकि हिन्दी मे कालान्तर मे बहुत से शब्द और लिखने के ढंग सरल रूप मे अपना लिए गए ... जैसे कि मेरा नाम "पद्म" आज "पद॒म" लिखा जाता है और इसी तरह "विद्यालय" आदि ...

Padm Singh  – (1 जुलाई 2010 को 12:46 am बजे)  

@मनुज जी
शंका ठीक है शन॒का गलत है क्योकि कवर्ग के किसी भी वर्ण से ;पहले ङ की बिंदी आती है
हिन्दी और हिंदी में "हिन्दी" ठीक शब्द है क्योकि तवर्ग वर्णों से पूर्व तवर्ग के आनुनासिक न् का प्रयोग किया जाता है

रावेंद्रकुमार रवि  – (1 जुलाई 2010 को 2:29 pm बजे)  

पद्म सिंह जी,
आपकी महत्त्वपूर्ण टिप्पणियों के लिए आभार!
--
आपके द्वारा अच्छी जानकारी दी गई है
पर अभी उसमें कुछ कमी है!
--
कमी को बाद में स्पष्ट किया जाएगा!

रावेंद्रकुमार रवि  – (1 जुलाई 2010 को 2:33 pm बजे)  

उचित होगा यदि इस पोस्ट के साथ
हम इसी पोस्ट में किए गए प्रश्न पर चर्चा करें!
--
मनुज जी की अधजल गगरी से छलके जल को पीकर
कुछ लोग मुख्य बिंदु से विमुख हो गए हैं!
--
आदरणीय टिप्पणीकारों से
इस पोस्ट में किए गए प्रश्न पर ही चर्चा करने का अनुरोध है!

Padm Singh  – (6 जुलाई 2010 को 9:14 pm बजे)  

विषयान्तर के लिए क्षमा चाहूँगा मित्र !

दूधवाला, दूध वाला, आने ही वाला और घरवाली

दूधवाला और घरवाली मे वाला प्रत्यय लगा कर गुणवाचक संज्ञा बना दिया गया है जब कि दूध-वाला और आने-वाला मे समास बोध है.. प्रश्न थोड़ा और स्पष्ट होता तो कुछ और प्रयास किया जा सकता था

अनुरोध है कि "बाद में स्पष्ट किया जाएगा!" से लोगों को हिन्दी ज्ञान से दूर रखना ठीक नहीं है ... कृपया एक पोस्ट को स्पष्ट करने के बाद ही अगली पोस्ट डालें तो बेहतर रहेगा ... मै स्वयं अपनी जानकारी को स्पष्ट कर लेना चाहता हूँ ..

रावेंद्रकुमार रवि  – (7 जुलाई 2010 को 2:35 pm बजे)  

पद्म जी,
शीघ्र ही ऐसा ही होनेवाला है!
कृपया, कुछ दिन और धैर्य धर लीजिए!

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