Blogger द्वारा संचालित.

फ़ॉलोअर

मेरी ब्लॉग सूची

18 जुलाई 2010 से प्रत्येक पोस्ट में उठाई गई समस्या के समाधान से संबंधित पोस्ट भी प्रकाशित की जाएगी! पहले पूर्व प्रकाशित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया जाएगा! फिर एक सप्ताह के भीतर ही समस्या और उसके समाधान संबंधी पोस्ट प्रकाशित करने की योजना है! अपरिहार्य कारणवश ऐसा नहीं हो पा रहा है!

महिला कवियित्री को मिला "प्रियदर्शिनी" पुरुस्कार (समाधान)

रविवार, १७ जनवरी २०१० को "हिंदी का शृंगार" पर यह पोस्ट प्रकाशित हुई थी -

निम्नांकित वाक्य
एक में अनेक दिखाने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है -
"महिला कवियित्री सुश्री सरोज़ वाला को
अपनी कविता "श्रृंगार-बर्षा" के लिए
इस बर्ष का "प्रियदर्शिनी" पुरुस्कार दिया गया!"
क्या आप दिखा सकते हैं?
----------------------------------------------------------------------
सबसे पहले राज भाटिय़ा ने सुश्री सरोज़ वाला को बधाई देते हुए कहा -

बहुत सुंदर हमारी तरफ़ से बधाई उन्हे

१८ जनवरी २०१० १:३७ पूर्वाह्न


इसके बाद शरद कोकास ने व्यंग्य कसा -

पहले ही कवयित्री और उस पर से महिला ? वाह वाह । अरे भाई हमारे यहाँ की हिन्दी ऐसी ही है ।

उड़न तश्तरी का कथन भी व्यंग्यात्मक ही रहा -

अब क्या मीन मेख निकालें..पुरुस्कार तो मिल ही गया... :)

मुरारी पारीक ने कुछ त्रुटियाँ बताने का त्रुटिपूर्ण प्रयास किया -

कवियत्री सुश्री सरोज बाला ,वर्षा, प्रियदर्शनी पुरुष्कार!!

डॉ. श्याम गुप्त का प्रयास कुछ-कुछ सही था -

महिला= नहीं होना चाहिये, कवियित्री =कवयित्री, अपनी -नहीं होना चाहिये दूसरे की कविता पर थोडे ही मिलेगा ,वाला= बाला, श्रृंगार अशुद्ध है=शृंगार, पुरुष्कार = पुरस्कार , बर्षा = वर्षा, बर्ष= वर्ष, प्रियदर्शिनी पुरस्कार प्रिय दिखने के लिये मिला या कोई सन्स्था है ??

बबली और श्रद्धा जैन ने भी राज भाटिय़ा की तरह सरोज़ वाला को बधाई दी -

बहुत सुन्दर ! बधाई!

समाधान
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक ने सही समाधान प्रस्तुत किया -

01. कवयित्री के साथ "महिला" नही होना चाहिए!
02. कवियित्री के स्थान पर
"कवयित्री" होना चाहिए!
03. सरोज़ में नुक्ता नही होगा, सही शब्द
"सरोज" है!
04. वाला के स्थान पर
"बाला" होना चाहिए!
05. अपनी के स्थान पर
"उनकी" होना चाहिए!
06. श्रृंगार के स्थान पर
"शृंगार" होना चाहिए!
07. बर्षा के स्थान पर
"वर्षा" होना चाहिए!
08. बर्ष के स्थान पर
"वर्ष" होना चाहिए!
09. प्रियदर्शिनी के स्थान पर
"प्रियदर्शनी" होना चाहिए!
10. पुरुस्कार के स्थान पर
"पुरस्कार" होना चाहिए!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक को हिंदी का सही शृंगार करने के लिए बधाई!

----------------------------------------------------------------------

मनोज कुमार  – (30 सितंबर 2010 को 10:57 pm बजे)  

अच्छी जनकारी दी आपने।
आभार!

ओशो रजनीश  – (30 सितंबर 2010 को 11:12 pm बजे)  

अति सुन्दर और ज्ञानवर्धक जानकारी ........ आभार


इसे पढ़े और अपने विचार दे :-
क्यों बना रहे है नकली लोग समाज को फ्रोड ?.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  – (1 अक्तूबर 2010 को 7:52 am बजे)  

हिन्दी वर्तनी सुधारने के लिए सुन्दर प्रयास।
--
इसका लाभ बहुत से हिन्दी सेवकों को मिलेगा।

गिरिजा कुलश्रेष्ठ  – (5 अक्तूबर 2010 को 11:42 pm बजे)  

आदरणीय शास्त्री जी द्वारा दिये गए समाधानों के साथ यह भी कि सरोज और बाला के बीच अन्तराल नही होना चाहिये । इसतरह सरोजबाला सही है । वर्तनी के सुधार हेतु यह प्रयास प्रशंसनीय है ।

एक टिप्पणी भेजें

सभी साथियों से अनुरोध है कि यदि आपकी मातृभाषा हिंदी है,
तो यहाँ अपनी टिप्पणी भी हिंदी (देवनागरी लिपि)
में ही प्रकाशित करने की कृपा कीजिए!
टिप्पणी पोस्ट करने से पहले
ई-मेल के द्वारा सदस्यता ले लिया कीजिए,
ताकि आपकी टिप्पणी प्रकाशित होने के बाद में
यहाँ होनेवाली चर्चा का पता भी आपको चलता रहे
और आप बराबर चर्चा में शामिल रह सकें!

Related Posts with Thumbnails

"हिंदी का शृंगार" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नवगीत की पाठशाला पर पढ़िए मेरे ताज़ा नवगीत : बौराए हैं बाज फिरंगी और कर पाएँगे नहीं नाज़

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

सप्तरंगी प्रेम पर पढ़िए मेरे ताज़ा नवगीत : मेरा हृदय अलंकृत और ओ, मेरे मनमीत!

मेरी रचनाओं का शृंगार : रावेंद्रकुमार रवि

सृजनगाथा में प्रकाशित रावेंद्रकुमार रवि की लघुकथाएँ

१. भविष्य दर्शन

२. शेर और सियार

३. तोते ४. लेकिन इस बार

५. आदर्श

  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP