सच्चे सर्जन की प्रेरणा
ब्लॉगर : उपयोगकर्त्ता प्रोफ़ाइल में मैंने अपने बारे में यह लिख रखा है -
"प्रकृति से अलंकृत सौंदर्य का उपासक हूँ,
क्योंकि यह मुझे सच्चे सर्जन की प्रेरणा प्रदान करता है!"
यह मेरे दोनों ब्लॉग्स -
"सरस पायस"
और
"हिंदी का शृंगार"
पर मेरे फ़ोटो के साथ दिखाई देता है ।
इसे पढ़कर, इसमें आए एक शब्द
"सर्जन"
के बारे में कई बार, कई साथी मुझसे पूछताछ कर चुके हैं ।
एक-दो साथियों को छोड़कर
अन्य सभी साथियों ने इसे त्रुटिपूर्ण बताया
और
"सर्जन" के स्थान पर "सृजन" लिखने का सुझाव दिया ।
एक साथी ने तो यह तक पूछ लिया -
"रावेंद्र जी, आपके फ़ोटो के नीचे के वाक्य में
"सर्जन" होना चाहिए या "स्रजन" ?"
आज इन्हीं तीन शब्दों -
"सर्जन", "सृजन" और "स्रजन"
के बारे में आप सबके जानकारीपूर्ण विचार आमंत्रित हैं ।
इनसे संबंधित वाक्य-प्रयोग और हिंदी-साहित्य में आए उदाहरण भी दिए जाएँ,
तो चर्चा अधिक अच्छी तथा अति महत्त्वपूर्ण हो जाएगी ।
अभी अन्य विद्वानों की टिप्पणियाँ आने दो।
उसके बाद ही समीक्षा के रूप में टिप्पणी करूँगा।
असत्य पर सत्य की जीत के पावन पर्व
विजया-दशमी की आपको शुभकामनाएँ!
धन्यवाद, मयंक जी!
आपको ऐसा करने का पूरा अधिकार है!
आपको भी विजय के लिए शुभकामनाएँ!
सजन: जिसका अभिप्राय भले व्यक्तियों से है।
सृजन: रचना करने वाला, उत्पत्ति करने वाला।
सर्जन: अंग्रेजी शब्द का हिन्दीकरण जो एक चीरफाड़ करने वाले डाक्टर के लिए किया जाता है। इस शब्द का प्रयोग हम अक्सर किसी के लिए भी कर लेते हैं जो किसी को भी ठीक कर देता है।
आचार्य जी!
महत्त्वपूर्ण टिप्पणी के लिए आभार!
आपके द्वारा की गई
"सर्जन" शब्द की व्याख्या
बहुत पसंद आई!
बताने की कृपा कीजिए -
क्या आपकी टिप्पणी में
"सजन" के स्थान पर "सज्जन" होगा?
आचार्य जी सही कह रहे हैं आभार्
बहुत बढ़िया लगा आपका ये पोस्ट! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!
प्रभात व्यावहारिक हिंदी -अंग्रेजी कोष ( बदरीनाथ कपूर ) के अनुसार सर्जन का अर्थ ( surgeon ) बताया गया है. (पेज ८५७ ) जबकि सृजन का अर्थ ( The creation ) बताया गया है (page no 900) .क्या आप सहमत हैं इन अर्थों से ?
रामचरित मानस में एक जगह आता है :-
" जाकें बल बिरंचि हरि ईसा , पालत सृजत हरत दससीसा" (२०.५)
इससे भी सिद्ध होता है कि सृजन का मतलब निर्माण से है. जबकि सर्जन शब्द उचित प्रतीत नहीं होता है.
दिनेश भाई!
आपने चर्चा को बहुत अच्छे ढंग से आगे बढ़ाया है,
पर अभी कुछ सिद्ध नहीं हुआ है!
आपकी यह टिप्पणी
एक नई चर्चा को भी जन्म दे चुकी है!
मेरी समझ में यह नहीं आता
कि हम सब इतनी जल्दी में क्यों रहते हैं!
जितने सजग हम अँगरेज़ी के प्रति रहते हैं,
उतने सजग हिंदी के प्रति क्यों नहीं रहते?
रवि भाई ,
यद्यपि मैं संस्कृत का इतना ज्ञानी आदमी नहीं हूँ पर देखने से लगता है कि
धातु + अन/अण/अणा= मूल शब्द
कृष् +अण=कृष्ण ( न कि कर्षण )
तृष + अणा =तृष्णा ( न कि तर्षण )
सृज + अन =सृजन ( तब क्यों सर्जन ?)
खैर छोडिये इन बातों को , हमारे बीच एक जाने माने सम्पादक श्री जय प्रकाश जी मानस है ,जिनकी वेब पत्रिका सृजनगाथा (http://www.srijangatha.com/) है ,उन्ही से पूछ लेते हैं कि आपने अपनी पत्रिका का नाम सर्जनगाथा क्यों नहीं रखा ?
आपने अपनी पत्रिका का नाम सर्जनगाथा क्यों नहीं रखा?
यह पूछने के लिए मानस जी को यहाँ बुलाने की पूरी कोशिश की जाएगी!
SARJAN ka अर्थ है रचना कर्म
फिर भी मेरा मानना है कि यहां सृजन ही बेहतर होता
वैसे दोनों लगभग समानार्थी हैं
dekhen SAMAANTAR KOSH
उदाहरण : 1 :
श्री जय प्रकाश मानस द्वारा संपादित पत्रिका "सृजनगाथा" पर प्रकाशित एक ललित निबंध
सर्जन फिर विसर्जन या फिर सर्जन
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नर्मदा प्रसाद उपाध्याय
का लिंक यह है -
http://www.srijangatha.com/2009-10/april/lalit%20nibandh-narmad%20prasad.htm
उदाहरण : 2 :
श्री अखिलेश द्वारा संपादित "तद्भव" पर प्रकाशित
अविस्मरणीय महादेवी वर्मा के शताब्दी वर्ष के अवसर पर
उन्हें याद करते हुए
वरिष्ठ आलोचक सत्यप्रकाश मिश्र के आलेख -
महादेवी का सर्जन : प्रतिरोध और करुणा
-----------------------------
का लिंक यह है -
http://www.tadbhav.com/issue%2015/Mahadevi%20ka.htm
उदाहरण : 3 :
राजस्थान साहित्य अकादमी की पत्रिका - मधुमती
में प्रकाशित श्री हरिराम मीणा की रचना -
मेघ-सर्जन
-------------
का लिंक यह है -
http://www.lakesparadise.com/madhumati/show_artical.php?id=752
उदाहरण : 4 :
|| भविष्य-सर्जन की कला व विज्ञान ||
लिनक्स में हिंदी, हिंदी में लिनक्स पर प्रकाशित
इस आलेख का लिंक यह है -
http://in.geocities.com/dysxhi/hi/creating_future.html
विद्वान टिप्पणीकारों!
इस प्रविष्टी पर तो बड़ी हास्यास्पद स्थिति हो गई है।
आश्चर्य है कि तत्सम और तद्भव की ओर
किसी का भी ध्यान नही गया।
सभी गुणीजन हैं।
इसलिए संक्षेप में ही टिप्पणी दी है।
आवशयकता होगी तो विस्तार से लिखूँगा।
अजी हमारी हिन्दी तो बहुत कमजोर है, इस लिये क्या बताये, मै आप सब से सहमत हुं.
धन्यवाद
साथियो!
पता चला है कि "सिरजन" शब्द भी चलन में है!
चर्चा में मज़ा आ रहा है...........ज्ञान भी बढ़ रहा है.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
मेरी हिन्दी किसी टिप्पणी लाइक तो नही परन्तु मैं जानना चाहता हुँ की कही उत्सर्जन से सर्जन शब्द का प्रयोग चलन मे तो नही आया ।
मैंने अपनी टिप्पणी में पहले ही उल्लेख कर दिया है कि
सर्जन शब्द तत्सम है तथा सृजन तद्भव है।
सर्जन से ही विसर्जन का अस्तित्व है।
विसर्जन को विसृजन लिखना तो न्यायसंगत नही होगा।
अत: सर्जन शब्द का प्रयोग ही सही है।
हरमिंदर जी सर्जन में उत् उपसर्ग लगकर
उत्सर्जन शब्द बना है!
धन्यवाद मयंक जी!
रूप चन्द्र शास्त्रीजी--आपकी विवेचना गलत है, वस्तुतः---
--स्रजन शब्द तो एकदम गलत है ही, वह टाइप के कारण होता है।
--सृजन शब्द सही है,यह किसी वस्तु को प्रथम बार, मानस या वास्तविक रचने को कहते हैं, यथा सृष्टि, सृष्टा या अपभ्रंश में सिरजन , सिरजनहार( न कि सर्जनहार)
---सर्जन, शब्द भी सही है, पर यह किसी बस्तु ,भाव, कृति आदि के पुनर्सृजन व भौतिक रूप से ,हाथों से आदि बनाने की प्रक्रिया के लिये प्रयोग होता है, सर्जक, सर्जना वहीं से आये हैं; हिन्दी से यह शब्द अंग्रेज़ी में गया, सर्जन( शल्य-चिकित्सक) कोई नई वस्तु नहीं बनाते, उसी बनी हुई बस्तु को रिपेयर करते है.
रवि जी, करोडों शब्द चलन में हैं--पहले तत्सम शुद्ध हिन्दी, फ़िर तद्भव, अपभ्रंस, फ़िर सेकडों क्षेत्रीय हिन्दी भाषा के प्रायोगिक शब्द।
----सजन का अर्थ= साजन न कि उत्तम जन
---सज्जन = उत्तम जन .
--अशोक पान्डॆय का कथन एक प्रकार से सही है।
--दिनेश माली जी का कथन बिल्कुल सटीक है। संस्क्रत से सर्जन शब्द अंग्रेज़ी में गया।
डॉ.श्याम गुप्त जी!
आपने किस आधार पर सर्जन को गलत कह दिया। आप पेशे से चिकित्सक हैं इसलिए आप अंग्रेजी के केवल SURGEON तक ही
सीमित हो गये हैं।
देवनागरी हिन्दी के मर्म को आप नही समझेंगे।
शब्दों की तह में जाना तो आपने उचित ही नही समझा।
आपका ज्ञान इस विषय में सीमित ही नही अपितु शून्य प्रतीत होता है।
आशा है अन्यथा नही लेंगे।
आशा करता हूँ कि
डॉ. श्याम और डॉ. मयंक की विवेचनाओं से
सर्जन को नई राह मिलेगी!