जंगली का विलोम क्या हो सकता है? (समाधान)
मंगलवार, ६ जुलाई २०१० को "हिंदी का शृंगार" पर यह पोस्ट प्रकाशित हुई थी -
जंगली का विलोम क्या हो सकता है?
आप भी प्रयास करके देखिए किमात्र स्मृति के आधार परआप इनमें से कितने शब्दों के विलोम शब्द बता सकते हैं --
1. चीत्कार2. खंडन3. उत्कर्ष4. ऋणी5. जंगली--------------------------------------------------------------------------------------------------------------सबसे पहले रश्मि प्रभा... ने बताया - 1. चीत्कार -
2. खंडन - मंडन
3. उत्कर्ष - अपकर्ष
4. ऋणी - उऋण
5. जंगली -सभ्यरश्मि जी ने जिस शब्द का विलोम नहीं लिखा था, उसे इंद्रनील भट्टाचार्जी "सैल" ने प्रश्नसूचक चिह्न (?) के साथ कुछ इस तरह बताया - चित्कार - कानाफूसी ?
फिर मेल द्वारा प्राप्त नीलम मिश्रा के संदेश को भी मैंने टिप्पणी के रूप में प्रकाशित कर दिया -
1)नहीं पता
२)मंडन
३)अपकर्ष
४)उरिणी
५)सभ्य
प्रयास है देखियेबज़(Buzz) पर पद्म सिंह ने भी अपना अन्दाजिफिकेशन कुछ इस तरह पेश किया -
चीत्कार- सीत्कार
खंडन- मंडन
उत्कर्ष- अपकर्ष
ऋणी - उऋणी
जंगली - सभ्य 6 Jul 2010अंतिम समाधान डा. श्याम गुप्त द्वारा मंडन, ऋणी और ऋणदाता की अति अशुद्ध वर्तनियों के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया - चीत्कार = गहन मौन
खंडन = मन्डन
उत्कर्ष = अपकर्ष
रिणी = दाता, रिणदाता, साहूकार,
जंगली = सभ्य, शहरी,नागरिक, पालतूरचना दीक्षित ने यह उलाहना देकर इस यज्ञ में एक महत्त्वपूर्ण आहुति दी - रावेन्द्र कुमार जी अगर मेरी बात को अन्यथा न लें तो कुछ कहना चाहूंगी.
कहूँ क्या ?????.आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है आपके पूछे हुए प्रशन भी अच्छे लगते हैं पर सही जवाब क्या है वो पता नहीं लगता है. क्या आप ऐसा नहीं कर सकते की जब नई पोस्ट डालें तो पहले पुरानी पोस्ट का सही जवाब लिख दें. अगर आप किसी कारणवश ऐसा नहीं करते हैं तो क्या आप मुझे सही जवाब मेल कर सकते हैं मेरी भाषा सुधरने के लिए
बहुत बहुत आभार
रचना जी को धन्यवाद और अन्य प्रतिभागियों को उनके हिस्से की बधाई के साथ सही समाधान प्रस्तुत किया जा रहा है -
1. चीत्कार का विलोम = सीत्कार
2. खंडन का विलोम = मंडन
3. उत्कर्ष का विलोम = पराभव
4. ऋणी का विलोम = उऋण
5. जंगली का विलोम = पालतू
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------- साथ में एक बात और :
जंगल में रहनेवाले असभ्य नहीं होते,
उन सबकी भी अपनी-अपनी अति विशिष्ट सभ्यताएँ होती हैं!
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